• रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो रेबीज वायरस के कारण होती है।
• वायरस संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच के माध्यम से फैलता है।
• कुत्ते के काटने से रेबीज हो सकता है, खासकर अगर कुत्ता रेबीज से संक्रमित हो।
• रेबीज के लक्षणों में बुखार, दौरे, भ्रम और पक्षाघात शामिल हैं।
• इसका इलाज रेबीज वैक्सीन और इम्युनोग्लोबुलिन से किया जा सकता है।
कुत्ते के काटने पर सबसे पहले घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए, फिर एंटीसेप्टिक (जैसे बीटाडीन) लगाना चाहिए और तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुत्ते के काटने से रेबीज और टेटनस जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं, इसलिए टीकाकरण ज़रूरी है।
विस्तार से:
कुत्ते के काटने के बाद, प्राथमिक उपचार के तौर पर, आपको ये कदम उठाने चाहिए:
1. घाव को धोना: कुत्ते के काटने के तुरंत बाद, घाव को कम से कम 15-20 मिनट तक साबुन और पानी से धोना चाहिए।
2. एंटीसेप्टिक लगाना: धोने के बाद, घाव पर एंटीसेप्टिक (जैसे बीटाडीन) लगाएँ।
3. पट्टी बाँधना: अगर ज़रूरी हो, तो घाव को साफ़ कपड़े से ढँक दें।
4. डॉक्टर को दिखाएँ: रेबीज और टेटनस के खिलाफ़ टीका लगवाने के लिए तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
टेटनस:
• टेटनस टेटनस बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है।
• यह बैक्टीरिया मिट्टी और मल में पाया जाता है।
• कुत्ते के काटने से टेटनस का खतरा होता है, खासकर अगर घाव गंदा हो।
• टेटनस के लक्षणों में मांसपेशियों में ऐंठन, जबड़े को बंद करने में कठिनाई और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।
• इसका इलाज टेटनस वैक्सीन और एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है।
अन्य संक्रमण:
• कुत्ते के काटने से अन्य बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण भी हो सकते हैं।
• संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य दवाओं से किया जाता है।
निष्कर्ष:
कुत्ते के काटने के बाद, तुरंत प्राथमिक उपचार करना और डॉक्टर से मिलना बहुत ज़रूरी है।
रेबीज वायरस शरीर में, खास तौर पर तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क में गंभीर सूजन पैदा करता है, जिससे अक्सर मौत हो जाती है। वायरस संक्रमित जानवरों की लार के ज़रिए फैलता है, आमतौर पर काटने या खरोंचने से, और फिर तंत्रिका तंत्र से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचता है।
शरीर पर रेबीज वायरस के प्रभाव:
• तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है:
रेबीज वायरस मुख्य रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) को प्रभावित करता है।
• मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की सूजन: यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन पैदा करता है, जिससे गंभीर तंत्रिका संबंधी समस्याएं होती हैं।
• लक्षण: रेबीज के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बेचैनी, भ्रम, अत्यधिक लार आना और निगलने, बोलने और सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है।
• घातक: यदि रेबीज के लक्षण विकसित होते हैं, तो यह लगभग हमेशा घातक होता है।
• मृत्यु: रेबीज से होने वाली अधिकांश मौतें बच्चों में होती हैं।
रेबीज से बचाव के लिए:
• संक्रमित जानवरों से दूर रहें।
• यदि किसी जानवर ने काट लिया है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) प्राप्त करें।
• पालतू जानवरों का टीकाकरण करें।
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